मनिषियों के मत 2

श्री श्री अग्रसेन महाराज का प्रमाणिक व ऐतिहासिक महत्व प्रतिस्थापित होगा

— डॉं.पंकज चांदे


इस ऐतिहासिक योगदान करनेवाले श्रीमन्

बेदिल महोदय का हृदय से अभिनन्दन

जिसप्रकार महापुरुषों के जीवनचरित्र के विषय में कोई न कोई अलौकिक घटनाएं हमें दिखाई देती हैं, उसीप्रकार श्रीमन् अग्रसेन महाराज के जीवनचरित्र के विषय में भी अनेकों अलौकिक घटनाएं इस ग्रन्थ में वर्णित हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि धर्मप्रबोधन के लिये ही श्री श्री अग्रसेन का जन्म हुआ।

इस ग्रन्थ के विषय में श्री बेदिल महोदय के जीवन में भी एक अलौकिक घटना घटित हुई। उन्हे सिद्धपुरुष द्वारा प्रदत्त यह ग्रन्थ अदृश्याक्षरों का है। ग्रन्थ प्राप्ति के उपरांत जब आनन्द के अतिरेक में उनके नेत्रों से अश्रु भुर्जपत्र के ऊपर गिरे, तब अकस्मात् ही लुप्त अक्षर प्रकट हो गये। तदनन्तरं भुर्जपत्र का प्रत्येक पत्र जल में भिगा भिगाकर ग्रन्थ का यह सम्पूर्ण स्वरुप श्री बेदिल महोदय द्वारा उद्घाटित किया गया। यह सर्वविदित है कि आज भी ग्रन्थ के अदृश्य अक्षर भुर्जपत्र के जल के सम्पर्क में आने पर स्पष्ट दिखाई देते हैं।

इसप्रकार श्रीमन् अग्रसेन महाराज के जीवनचरित्र के महत् ग्रन्थ का सफल संपादन कर इसे प्रकाश में लाकर, एक ऐतिहासिक योगदान करनेवाले श्रीमन् बेदिल महोदय का मैं हृदय से अभिनन्दन करता हूं।

इस ग्रन्थ के प्रकाश में आने से श्री श्री अग्रसेन महाराज का प्रमाणिक व ऐतिहासिक महत्व प्रतिस्थापित होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

 

— डॉं.पंकज चांदे
अध्यक्ष, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (नई दिल्ली)
कुलपति, कविकुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय