अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन4

महापुरुष किसी समाज की धरोहर नहीं

-श्री बेदिल

श्री रामगोपाल जी बेदिल ने , कविकुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान क्लांत और अशांत विश्व की स्थिति उसी तरह की हो गई है, जैसी द्वापर और कलि के संधिकाल में हो गई थी. धर्म व धार्मिक संस्थान विनिष्ट हो रहे हैं, संस्कृत व संस्कृति के ज्ञान के आभाव में चिंतन क्षीण हुआ, विकृति आई और विकृत मानसिकता ने जगत को अशांत कर दिया है.

उस समय महर्षि गर्ग के आदेश से जैसी श्री अग्रसेन जी ने पुनः मानव धर्म की संस्थापना के लिये विश्व उपदेष्टा का कार्य किया था वही कार्य – आज हम आप सबको मिलकर करना होगा.

श्री बेदिल ने कहा कि कोई भी महापुरुष किसी समाज की धरोहर नहीं होता. श्री अग्रसेन को एक समाज का कुलपुरुष घोषित कर इतिहास ने हासिये में डाल दिया था. संतों ऋृषियों की कृपा से प्रागैतिहासिक यह अलौकिक ग्रंथ आज विश्व के पटल पर है. जितना अद्‌भुत स्वरूप आप इस ग्रंथ का देख रहे हैं इससे अद्‌भुत और अलौकिक गाथा है श्री अग्रसेन की.

विश्व के नवनिमार्ण के लिये श्री अग्रसेन के ‘सर्व लोकहितं धर्मम्‌’ के पथ पर सम्पूर्ण मानव समाज को अभिप्रेरित करने की सभी विद्वानों और मनीषियों की जिम्मेदारी है.