श्री रामेश्वरदासजी गुप्त ने अपने अध्यक्षीय भाषण में अपने ठेठ लहजे में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि- ‘भई वाल्मीकी के राम को तो लोग भुला चुके थे. वो तो तुलसीदास ने उसे फिर से घर-घर में घुसा दिया. तुलसी नहीं होता तो हम राम विहीन हो जाते. बेदिल जी ने अग्रसेन जी के लिये वही काम किया है.