अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन 2

  विश्वविद्यालय इस ग्रंथ की शैक्षणिक गरिमा प्रस्तुत करने के लिये हमेशा तैयार

– कुलपति डॉ. पंकज चांदे

               

नागपुर में कविकुलगुरू कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में जर्मन, नीदरलैंड, फ्रांस, नेपाल व अन्य देशों के ७५० से अधिक प्रतिनिधियों ने परिचर्चाओं में हिस्सा लिया.’श्री अग्रभागवत’ पर आयोजित चर्चा-सत्र की अध्यक्षता डॉ. रामभाउ पुजारी (अध्यक्ष, संस्कृत भारती विदर्भ) ने की. श्री रामगोपाल जी बेदिल कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे.इस अवसर पर कविकुलगुरू कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पंकज चांदे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का यह गौरवशाली अध्याय है कि रामगोपालजी बेदिल इनके स्वाधीन महर्षि जैमिनि द्वारा लिखित अग्रोपाख्यान याने अग्र भागवत इस प्राचीन हस्तलिखित संग्रह का लोक दर्शन किया गया. सम्मेलन में आये असंखय विद्वानों ने इस प्राच्य ग्रंथ

के चमत्कार का स्वयं दर्शन करके पानी में उभरने वाले अक्षरों को देखकर अत्याधिक आश्चर्य व्यक्त किया.

भारतवर्ष की श्री अग्रसेन महाराज जैसी विभूती के नाम से अलंकृत इस अद्‌भुत ग्रंथ का संस्कृत विद्वानो द्वारा अध्ययन, अध्यापन तथा कीर्तनों के विषय पाठ्‌क्रम में सम्मलित करने को को विश्वविद्यालय तैयार है. साथ ही अपने वक्तव्य में डॉ. चांदे ने कहा कि इस ग्रंथ पर शोध कार्य हेतु विश्वविद्यालय सभी प्रकार की सहायता करेगा. यह ग्रंथ राष्ट्र की धरोहर है. विश्वविद्यालय इस ग्रंथ की शैक्षणिक गरिमा प्र

स्तुत करने के लिये हमेशा तैयार है.