मनिषियों के मत 8
तुलसी नहीं होता तो हम राम विहीन हो जाते.
—श्री रामेश्वरदास गुप्त
श्री रामेश्वरदासजी गुप्त ने अपने अध्यक्षीय भाषण में अपने ठेठ लहजे में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि- ‘भई वाल्मीकी के राम को तो लोग भुला चुके थे. वो तो तुलसीदास ने उसे फिर से घर-घर में घुसा दिया. तुलसी नहीं होता तो हम राम विहीन हो जाते. बेदिल जी ने अग्रसेन जी के लिये वही काम किया है.
बेदिल जी आपने हमारा काम सरल कर दिया है’.
– श्री रामेश्वरदास गुप्त